बेताल पच्चीसी की अंतिम और पच्चीसवीं कहानी! - Hindi mey

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बेताल पच्चीसी की अंतिम और पच्चीसवीं कहानी!

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बेताल पच्चीसी की अंतिम और पच्चीसवीं कहानी!

जैसा की इससे पहली कहानी  पढ़ा की कैसे राजा ने जैसे ही उत्तर दिया, बैताल फिर से जाकर पेड़ पर लटक गया| जब राजा विक्रमादित्य उसको लेकर वापस आने लगे तो बैताल उनकी धैर्य और निष्ठा से बहुत खुस हुआ| उसने राजा विक्रमदिय को साधु की असलियत बताई और उसके पाप का फल देने का सुझाव दिया| आईये पढ़ते है| vikram vaital pacchisi 25th last story,

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वह ढोंगी योगी राजा विक्रमदित्य और मुर्दे को देखकर बहुत खुस हुआ। ढोंगी बोला, "हे राजा तुमने यह कठिन काम करके मेरे पर बहुत बड़ा उपकार किया है। तुम सचमुच सबसे अच्छे राजा हो।"  इतना कहकर उसने बैताल के शव को राजा विक्रम के कंधे से उतार लिया और उसे स्नान कराकर फूलों की माला  पहना कर ठीक से सजाकर रख दिया, और अपने अनुष्ठान की तैयारी में लग गया| फिर मंत्र-बल से बेताल का आवाहन करके उसकी पूजा करने लगा। पूजा करने के बाद उसने राजा से कहा, "हे राजा तुम झुक कर इसे प्रणाम करो।" vikram vaital pacchisi 25th last story,

राजा को बेताल की बात याद थी। वह जानता था की ये पांखण्डी यही बोलेगा, तो राजा ने साधु से कहा, "मैं तो राजा हूँ, भला मुझे सर झुकाने कैसे आएगा, मैंने कभी किसी को सिर नहीं झुकाया। अगर आप पहले सिर झुकाकर बता दे तो आपकी बड़ी कृपा होगी।" राजा विक्रम की ये बाते सुनकर बैताल उसकी बातों में आ गया, और योगी ने जैसे ही सिर झुकाया, राजा ने तलवार से उसका सिर काट दिया।

राजा विक्रमादित्य की सूझबूझ और पराक्रम देख बेताल बड़ा खुश हुआ। और बोला, "राजन्, यह योगी विद्याधरों का स्वामी बनना चाहता था। लेकिन अब तुम बनोगे। मैंने तुम्हें बहुत परेशान किया है। मै तुम्हारे सूझबूझ, निष्ठा, और धैर्य से बहुत खुस हूँ| तुम जो वर चाहो सो माँग लो।"

वैताल की बाते सुनकर राजा बहुत हर्षित हुआ और कहा, "अगर आप मुझसे खुश हैं तो मेरी प्रार्थना है कि आपने जो चौबीस कहानियाँ सुनायीं, वे, और पच्चीसवीं यह, सारे संसार में प्रसिद्ध हो जायें और लोग इन्हें आदर से पढ़े।" vikram vaital pacchisi 25th last story,

बेताल ने कहा, " विक्रम तुमने ये वर मांग कर एक बार फिर मुझे फिर से खुश कर दिया है, जाओ मै तुमको वर देता हु की ऐसा ही होगा। ये कथाएँ ‘बेताल-पच्चीसी’ के नाम से मशहूर होंगी और जो इन्हें पढ़ेंगे, उनके पाप दूर हो जायेंगे।"

यह कहकर बेताल चला गया। उसके जाने के बाद शिवजी ने प्रकट होकर कहा, "राजन्, तुमने अच्छा किया, जो इस दुष्ट साधु को मार डाला। अब तुम जल्दी ही सातों द्वीपों और पाताल-सहित सारी पृथ्वी पर राज्य स्थापित करोगे।" vikram vaital pacchisi 25th last story,

इसके बाद शिवजी अन्तर्धान हो गये। काम पूरे करके राजा श्मशान से अपने नगर में आ गया। कुछ ही दिनों में वह सारी पृथ्वी का राजा बन गया और बहुत समय तक राज्य करते हुए अन्त में स्वर्ग सिधार गया।

इस तरह वैताल पच्चीसी के कहानियो  संग्रह समाप्त हुआ| 

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